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कौन है?-

मुझे याद आया। एक दरवाजा पीछे खुलता था। मैं भागकर पिछले दरवाजे पहुँची। पिछली दीवार की खिड़की से काफी सारा धुआँ निकल रहा था। पिछले द्वार पर पहुँचकर मैंने दरवाजे को धक्का दिया। मै अचंभित हो गई। क्योंकि दरवाजा एक ही धक्के में खुल गया था। घर में धुएँ के गुब्बारे उड रहे थे।  "कोई है घर में?" मैने पुकारा, "मेडम जी...! कहाँ हो आप?" मगर अब घर में पूरी तरह शांति बनी हुई थी।  डरते डरते मैं बेडरूम चेक करने के लिए आगे बढी। मेरा दिल किसी अनहोनी की संभावना को लेकर काफी घबरा रहा था। मैं भागती हुई बेडरूम में पहुँची। बेडरूम में मुझे जो मंजर नजर आया, उसे देखते ही मैं अपनी जगह पर फ्रीज हो गई। एक पल के लिए मेरा पूरा बदन सून हो गया। बेड पर जलकर पूरी तरह काला पड़ चुका एक कंकाल पड़ा था। जिसके अंग अंग से अभी भी धुआँ निकल रहा था। ऐसा लगता था किसी ने मानव शरीर पर तेजाब उलट दिया हो। हैरानी की बात यह थी कि डेड बॉडी की आधी जली खोपड़ी पर हरे रंग का चिपचिपा प्रवाही ओस की तरह बूंद बूंद में फैला पडा था।  हाथ में घडी और आधे जले कपडों से मालूम हो गया कि वह उसी नर्स की डेडबॉडी थी जो मेरी बेटियों की पालक मा थी। मैं पूरे घर में अपनी बेटियाँ को ढूँढती रही। आखिरकार उनके बेडरुम में पहुँची। बेडरुम खाली था, मगर दीवार पर लगे एलईडी को चालू देखकर मुझे ठिठक जाना पड़ा। क्योंकि एलईडी में वही दृश्य मौजूद था जो अभी अभी मैं देख कर आई थी। स्क्रीन पर नर्स की जली हुई डेड बॉडी नजर आ रही थी। 'एलईडी स्क्रीन पर बड़े बड़े अक्षरों में एक लाइन लिखी थी। "यह एक अभिशाप है कब किस पर टूटे कहा नहीं जा सकता।' ठीक उसके नीचे एक नाग का सिंबल बना हुआ था। मैं पूरी तरह सहम गई थी। जैसे मेरे हाथ-पैर ढीले पड़ चुके हैं। शरीर बेजान सा हो गया। कोई अनजाना खौफ मेरी हड्डियों को पिघला रहा था। मैं अपनी बेटियों से मिलने आई थी लेकिन इस घर के मंजर ने मेरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। मुझे जिसका डर था वही हुआ। भिक्षुक ने बताया था कि मेरी संतान अपने ही परिवार का विनाश करेगी। और उसकी बात बिल्कुल सही साबित हुई थी। काली पड़ चुकी डेड बॉडी के ऊपर से जहरीली गैस धुआँ बन कर उडने लगी थी। नर्स को किसी ने जलाकर मार डाला था---पर किसने? यह बताना बहुत ही मुश्किल था। मैं वहाँ से भाग निकली। क्योंकि मेरी समझ में सब कुछ आ चुका था। नर्स की मौत चाहे जिस तरीके से हुई हो लेकिन सच तो यह था कि दोनों बेटियों के जन्म के साथ एक श्राप मिला था। वही उसकी पालक माता की मौत की वजह था।  मैं अपनी मनोदशा को किसी के सामने शेयर नहीं कर सकती थी। इस वक्त मेरे दिमाग में कोहराम मचा हुआ था। कहाँ गई मेरी बच्चियाँ? उन्हें अब मैं कहाँ ढूंढू? सोच सोच कर मेरा बुरा हाल हुआ था। जब रो-हाउस के दरवाजे तक पहुँची थी तब मैंने किसी की भयानक चीख सुनी थी। वीरान पड़े घर में किसी की भागदौड़ सुनी थी। जबकि मैंने पूरा घर देख लिया। कोई भी तो नहीं था घर के अंदर। तो फिर वह किस के कदमों की आहट थी? कौन था जो मेरे सब्र का इंतिहान ले रहा था? खुद मेरे लिए भी उस रहस्य की तह तक पहुंचना जरूरी हो गया था। नर्स के घर पर रुकने का मतलब था जानबूझकर उसकी मौत का इल्जाम अपने सिर पर लेना। इसलिए मैं वहाँ से भाग आई। मेरे पीछे खौफ की परछाई थी, जिससे मैं चाह कर भी पीछा नहीं छुड़ा सकती थी।  मैं एक ऐसी बदनसीब माँ हूँ कि जो अपनी बेटियों के लिए कुछ नहीं कर कर सकती थी।  नर्स के रो-हाउस से वापस लौटी। तब ऐसा लगा जैसे जैसे मैं अपना सब कुछ हार चुकी थी। उस माँ की हालत कैसी होगी जिसकी दो दो बेटियां एक साथ गायब हो? और मां को पता हो कि उसकी दोनों बेटियां जन्म से ही एक अभिशाप के साथ पैदा हुई है? "ओह माय गॉड! यह तो बहुत बुरा हुआ?" आरव गंगा की बात सुनकर हिल गया था। किसी की जिंदगी में इतने भयानक हादसे भी हो सकते हैं उसने कल्पना तक नहीं की थी। "मॉम फिर तुमने मेरी दोनों बहनों को ढूँढने की कोशिश नहीं की?" "तब से मैं उन्हें ढूँढ ही रही हूँ बच्चों। जब भी कहीं कोई हादसा होता है किसी लड़की की खौफनाक मौत की खबर सुनते हो तो फौरन वहां पहुँच जाती हूँ। और जानने की कोशिश करती होगी मरने वाले लड़की कहीं मेरी बिटिया तो नहीं है।" "अब मेरी समझ में आया मॉम कि आप मिलन होटल में हम से पहले क्यों पहुँच गई थी? अच्छा हुआ आपने यह सब हमें बता दिया। हम तो खुद अपनी ही मौत को सपने में देखते थे और सपने की हकीकत को परखने जब होटल पहुँचे तो मौत किसी और को गटक चुकी थी।" "होटल मिलन पर पहुँच कर भी मैं उस लड़की की शिनाख्त नहीं कर पाई। मैं एक बार उसकी कमर देखना चाहती थी।" वह तो हम पता लगा लेंगे मां, अगर उस लड़की की कमर पर नाग का निशान मिलता है तो वही हमारी सिस्टर होगी। लेकिन मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगी कि मरने वाली लड़की के बदन पर नाग का निशान ना मिले।" निर्मोही भावविभोर हो गई थी। गंगा की आँखें भी झिलमिला उठी। "सब कुछ नियति के अधीन है हमारे हाथों में कुछ भी नहीं!" आरव ठकराल के वोटसेप पर मैसेज सेंड कर चुका था कि मरने वाली लड़की की कमर पर नाग का चिन्ह नजर आता है तो उन्हें अवगत कराया जाये।  सामने से ठकराल ने 'ओके' लिखा। पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद आरव ने पूछा। "आपके सपने वाली बात तो रह गई आंटी जी। हम जानना चाहते हैं कि वह कौन सा सपना है जो आपको रोजाना परेशान करता है? और उस सपने का आपकी लाइफ से कोई ताल्लुक है या नहीं उसका भी हम पता लगा लेंगे। "ताल्लुक है, गंगा जोर से चिल्ला उठी। उसके होंठ बुरी तरह कांप रहे थे। "मैं कहती हूँ मेरे सपने का मेरी लाइफ से ताल्लुक है। अतीत की कालिख में छुपा कोई ऐसा राज है जो अब बाहर आने के लिए छटपटा रहा है।" गंगा की आँखें खिड़की के आवरण को भेद कर दूर-दूर तक क्षितिज में डूब चुकी थी।

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2 Comments

madhura

27-Sep-2023 10:13 AM

Awesome

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Gunjan Kamal

27-Sep-2023 08:56 AM

👏👌

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